लेखनी कहानी -17-Oct-2022... दहेज प्रथा....
अरी अनु... बेटा ये तेरे पापा के लिए तकिया तो लेती हुई जा...। मैं पानी की मटकी लेकर बस आ ही रहीं हूँ..।
हाँ मम्मी लाओ...।
अनु अपने छोटे भाई बहनों के साथ तकिया लेकर छत पर चली गई..।
पापा ये लिजिए आपका तकिया..।
हाँ ला बेटा... इस तकिये के बिना मुझे नींद ही नहीं आतीं हैं..। तुम्हारी मम्मी नहीं आई अभी तक...।
वो बस आ ही रहीं हैं पापा...।
ठीक हैं बेटा... बाकी के बिस्तर भी बिछा दे सही से...।
हाँ पापा...। आप आराम किजिए..।
अनु ने छत पर रखें हुए सभी बिस्तर रोज़ की तरह बिछा दिए और अपने तीनों भाई बहनों को अपनी अपनी जगह पर लेटने को बोला..। कुछ ही देर में उनकी मम्मी भी छत पर आई..। हर रोज़ की तरह चारों बच्चे उनके आते ही कहानी सुनाने की जिद्द करने लगे...। आज सुमन थोड़ी थकी हुई थीं.. पर बच्चों की जिद्द के आगे भला किसकी चलीं हैं...। सभी बच्चे सुमन को घेर कर कहानी सुनने लगे..।
करीब पन्द्रह मिनट बाद कहानी खत्म होते ही बच्चों ने हर रोज़ वाली अपनी लोरी सुनाने को बोला..।
सुमन की आवाज में लोरी सुने बिना बच्चों को नींद आना मुमकिन ही नहीं था...। खुला आसमान.... ठंडी हवा.. नर्म बिस्तर...उस पर सुरीली आवाज में लोरी.... भला बच्चे कब तक जागते...। एक एक कर चारों बच्चे गहरी नींद में सो गए..।
ये सब तब की बात है जब घर में ना टीवी होता था... ना मोबाइल... मनोरंजन के नाम पर सिर्फ माँ और दादी की कहानियाँ होतीं थीं..। ए.सी .और कूलर तो उन्होंने सुना भी नहीं था... खुली छत और रात की ठंडी हवा... इसके सामने ए.सी.की हवा भी फेल हो जाए..।
खैर बच्चों के सोते ही कुछ देर बाद सुमन की भी आंख लग गई...।
सभी सदस्य सो चुके थे...। रात के तकरीबन ढाई बजे अनु की आंख खुली... उसे पानी की प्यास लगी...। गर्मी का समय था... ओर अनु को पानी की वैसे भी बहुत तलब होतीं थीं...। अनु ने मटकी में से पानी पिया...। कुछ देर बाद उसे कुछ आवाज सुनाई दी...। वो बिस्तर पर खड़े होकर यहाँ वहाँ देखने लगी...। अपने घर से लगभग चार घर बाद ही अनु ने छत पर देखा कोई जोर जोर से झगड़ा कर रहा था....और कोई दूसरे व्यक्ति पर कुछ उड़ेल रहा था...।अंधेरे की वजह से पहले तो शक्ल भी ठीक से नहीं दिख रहीं थीं...।फिर एकाएक एक चमकती चीज़ देख अनु डर गई और अनु ने तुरंत अपनी मम्मी को उठाया...।
सुमन और उसका पति किशोर दोनों उठ खड़े हुए..। अनु के बताने पर वो दोनों भी उस तरफ़ देखने लगे...। लेकिन वो कुछ समझते... सोचते... उनके सामने कुछ ऐसा दृश्य आया जिससे उनकी रुह कांप गई...।
वो घर उनके पड़ोसी मोहन का था...। जिनके घर आठ दिन पहले ही बेटे की शादी हुई थीं...। उन लोगों का सबसे व्यवहार ना के बराबर ही था...। ना ज्यादा किसी से बात करना... ना किसी के घर आना जाना...। सिर्फ हल्की मुस्कुराहट का रिश्ता था सभी से...।
लेकिन वो दृश्य दिल दहला देने वाला था...। सुमन ने बात को समझते ही झट से अनु को अपनी गोद में लिया ओर उसकी नजरें दूसरी तरफ़ कर दी ओर उससे उस ओर ना देखने को कहा...।
किशोर ने झट से आस पास की छतों पर सोए हुए लोगो को उठाया... और उन्हें सारा माजरा बताया...। सभी लोग असहाय और लाचारी से सिर्फ उस दृश्य को देख रहें थे...। क्योंकि उन सभी के वहाँ जाकर उसे रोकने तक में बहुत देर हो चुकी थीं...।
अनु कुछ समझ ही नहीं पाई आखिर हो क्या रहा हैं...।
आस पास के सभी लोग विचार विमर्श करते हुवे अपनी अपनी छत से नीचे आए और सभी पुरुषों ने उनके घर जाने का सोचा..। सभी समुह बनाकर मोहन के घर पहुंचे जहां वो सब घटना हुई थीं...। इस बातचीत में सवेरा कब हो गया पता ही नहीं चला...। अनु अभी भी उलझन में ही थीं...। उसने बहुत बार सुमन से इस बारे में पुछा पर सुमन ने उसे कुछ नहीं कहकर चुप रहने को कहा...।
आखिर कार सवेरे तकरीबन सात बजे किशोर घर आया और सुमन को बाहर बरामदे में बुलाकर कहा की :- मोहन की बहू और उसके बेटे के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था... इस पर उसकी बहू ने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आत्महत्या कर ली...। आग लगाने के बाद खुद को बचाते हुए यहाँ वहाँ भागने लगी और छत पर जा पहुंची... उसका बैलेंस बिगड़ा ओर छत से गिरकर मर गई...। मोहन तो ऐसा ही बता रहा हैं... अब क्या सच... क्या झूठ किसको पता... पर उसका बेटा तो हाथ में ही नहीं आ रहा हैं..। बहुत बुरा हाल हैं बेचारे का...। अभी अभी पुलिस भी आई हैं...।
अनु जो छिपकर ये सब सुन रहीं थीं वो अचानक बाहर आई ओर बोलीं :- नहीं पापा.... वो पहले से छत पर थीं... मैंने देखा था..। मम्मी को उठाने से पहले मैंने देखा था... कोई दो लोग छत पर झगड़ा कर रहे थे... फिर एक ने दूसरे के ऊपर कुछ डाला और लकड़ी में आग लगाकर उसकी तरफ़ जा रहा था...। तभी मैने मम्मी को उठाया.. आप जब उठे तब तक उसको आग लग चुकी थीं...। मैने देखा था पापा... उसको आग लगाई गई थीं..।
हां बेटा... वहाँ आस पास के कुछ लोग भी ऐसी ही बात कर रहें हैं...। पुलिस सभी से बयान ले रहीं हैं..। लेकिन बेटा हमें इस मामले में नहीं पड़ना हैं... पुलिस बयान लेने आए तो कह देना हमें कुछ नहीं पता..।
लेकिन यह तो गलत हैं ना पापा...।
हां जानता हूँ गलत हैं... ओर वहाँ जाकर ओर सब कुछ सुनकर ये भी जान गया हूँ की ये दहेज का मसला हैं..। ओर ये भी की मोहन पैसे से पुलिस का मुंह भी बंद करवा देगा..। पुलिस सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए आई हैं...।
पता नहीं लोग कैसे हैवान बन जाते हैं...। वो लड़की भी किसी के दिल का टुकड़ा होगी... किसी बाप का सहारा होगी... जरा सी भी शर्म नहीं आतीं हैं...। थोड़ा सा भी भगवान का खौफ़ नहीं हैं...। कैसे किसी को इतनी बेरहमी से मार सकते हैं...।
आप ज्यादा मत सोचिए जी... आपकी तबियत वैसे ही ठीक नहीं रहतीं हैं...। चलिए हाथ मुंह धो लिजीए मैं चाय बनाकर आतीं हूँ...।
अनु ये सब सुनकर अपने पापा से बोली :- पापा... क्या हमको भी कोई ऐसे मार देगा क्या... अगर आपने दहेज नहीं दिया तो...!!
किशोर और सुमन ने उसको गले से लगा लिया ....। लेकिन सच तो ये था की एक डर... एक खौफ तो उनके दिल में भी था...।
Mahendra Bhatt
04-Nov-2022 03:03 PM
बहुत ही सुन्दर
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Palak chopra
03-Nov-2022 03:31 PM
Shandar 🌸
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Khan
31-Oct-2022 11:38 PM
Bahut khoob 💐👍
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